IPv4 और IPv6 क्या है? इनके मध्य Difference

हेल्लो दोस्तों कैसे है आप? आज हम इस पोस्ट में IPv4 and IPv6 in Hindi के बारें में पढेंगें. और इनके मध्य difference को भी देखेंगे. इसे आप पूरा पढ़िए, आपको यह आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते है:-

IPv4 in Hindi

IPv4 का पूरा नाम internet protocol version 4 है, यह इन्टरनेट प्रोटोकॉल का चौथा version है. यह एक connection less प्रोटोकॉल है जिसका प्रयोग packet switched layer नेटवर्क्स (जैसे:- ethernet) में किया जाता है. इसे 1981 में विकसित किया गया था.

इसका प्रयोग नेटवर्क में data packets को होस्ट डिवाइस से डेस्टिनेशन डिवाइस तक deliver करने में किया जाता है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल एक network में devices को identify करने के लिए किया जाता है.

IPv4 में IP address 32 बिट्स का होता है. इसे 8 bits के 4 blocks में विभाजित (divide) किया जाता है. नीचे IPv4 का उदाहरण दिया गया है.

Example – 166.93.28.10

IPv4 को आजकल भी बहुत से devices में प्रयोग किया जाता है. परन्तु आजकल के devices IPv4 तथा IPv6 दोनों को सपोर्ट करते है.

इसे पूरा पढ़ें:- IPv4 Address क्या है?

IPv6 in Hindi

IPv6 का पूरा नाम internet protocol version 6 है. यह internet protocol (IP) का सबसे नया version है तथा इसमें IPv4 से ज्यादा बेहतर तथा advanced विशेषताएं (features) है. इसे IETF (internet engineering task force) ने 1998 में विकसित किया था.

IPv6 का साइज़ 128 bits का होता है और यह भविष्य में IPv4 की जगह कार्य करेगा. इस समय यह IPv4 के साथ मिलकर कार्य करता है. IPv6 का example नीचे दिया गया है.

उदाहरण – 2001:0db8:0000:0000:0000:ff00:0042:7879

इसे पूरा पढने के लिए click करें:- IPv6 Address क्या है।

IPv4 और IPv6 में अंतर (Difference)

IPv4 IPv6
इसमें 32 बिट्स लम्बाई का एड्रेस होता है. इसमें 128 बिट्स लम्बाई का एड्रेस होता है.
IPv4 एड्रेस एक बाइनरी संख्या होती है जिसे डेसीमल में प्रदर्शित किया जाता है. IPv6 एड्रेस भी बाइनरी संख्या होती है जिसे हेक्साडेसीमल में प्रदर्शित किया जाता है.
इसमें fragmentation को sender तथा forwarding routers दोनों के द्वारा perform किया जाता है. इसमें fragmentation को केवल sender के द्वारा परफॉर्म किया जाता है.
यह मोबाइल नेटवर्क के लिए थोडा कम अनुकूल है. यह मोबाइल नेटवर्क के लिए ज्यादा अनुकूल है.
इसमें header field की संख्या 12 है इसमें header field की संख्या 8 है.
इसकी शुरुआत 1981 में हुई थी. इसकी शुरुआत 1998 में हुई थी.
यह एक numeric address है जिसमें 4 fields होते है और ये फील्ड dot (.) के द्वारा separate (अलग) रहते हैं. यह एक alphanumeric address है जिसमें 8 fields होते है और ये फ़ील्ड्स colon (:) के द्वारा separate रहते हैं.
इसके पास IP address की 5 class होती हैं. – Class A, Class B, Class C, Class D, Class E. इसके पास IP address की कोई भी class नहीं होती.
इसके पास सिमित (limited) संख्या में IP address होते हैं. इसके पास बहुत बड़ी संख्या में IP address होते हैं.
यह VLSM (virtual length subnet mask) को सपोर्ट करता है. यह VLSM को support नही करता.
यह 4 billion यूनिक addresses को जनरेट करता है. यह undecillion यूनिक addresses को जनरेट करता है.
IPv4 में, end to end connection integrity को प्राप्त नहीं किया जा सकता. IPv6 में, end to end connection integrity को प्राप्त किया जा सकता है.
इसमें checksum field उपलब्ध होते हैं. इसमें checksum field उपलब्ध नहीं रहते है.
यह encryption और authentication प्रदान नही करता. यह encryption और authentication प्रदान करता है.
यह SNMP प्रोटोकॉल को support करता है. यह SNMP को सपोर्ट नहीं करता.
इसमें MAC address को map करने के लिए ARP (address resolution protocol) का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें MAC address को map करने के लिए NDP (neighbor discover protocol) का प्रयोग किया जाता है.
उदाहरण – 166.93.28.10 उदाहरण – 2001:0db8:0000:0000:0000:ff00:0042:7879

हमें IPv4 तथा IPv6 को समझने के लिए पहले IP address को समझना पड़ेगा.

Reference:- https://www.guru99.com/difference-ipv4-vs-ipv6.html

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