e commerce application in hindi:-
E commerce application ,ई – कॉमर्स के फ्रेमवर्क का उपयोग ई – कॉमर्स पर निर्भर Application को Define करने व बनाने के लिये किया जाता है । यह फ्रेमवर्क DBAS Computer language पर निर्भर करता है । इसका उपयोग E – Business में होने वाले संचार को प्रोटोकॉल के माध्यम से Develop करने में किया जाता है।
types of e commerce application in hindi:-
ई – कॉमर्स अनुप्रयोग ( E – Commerce Application ) को Six layers architecture के द्वारा समझा जा सकता है:-
1 . Application Service Layer ( एप्लीकेशन सर्विस लेयर )
2 . Database Managment Layer ( डेटाबेस मैनेजमेन्ट लेयर )
3. Interface iayer ( इन्टरफेस लेयर ) )
4. Secure Messaging Layer ( सिक्योर मैसेजिंग लेयर )
5 . Network Interface layer ( नेटवर्क इन्टरफेस लेयर )
6 . Documentation layer ( डॉक्यूमेन्टेशन लेयर )
1 . Application Service Layer ( एप्लीकेशन सर्विस लेयर ) :-
ई – कॉमर्स ( E – Commerce ) के लिये तैयार किये गये Platform के लिये यह प्रथम layer है , इसमें तैयार होने वाले एप्लीकेशन प्रोग्राम ग्राहक से व्यवसाय ( Customer to business ) तथा व्यवसाय से व्यवसाय ( Business to business ) तथा इन्टरनेट संस्था के लिये बनाये जाते हैं।
(i) Customer to business transation ( ग्राहक – व्यवसाय कार्यसम्पादन ) :
यह बाजार स्थल कार्यसम्पादन ( Market place transaction ) भी कहलाता है । क्योंकि यह उसी की तरह कार्य करता है जहां पर ग्राहक ई – पब्लिशिंग ( E Publishing ) के द्वारा उत्पाद के बारे में जानकारी प्राप्त करता है । इसके लिये यह ई – कॉमर्स Secure payment system का उपयोग करता है ।
(ii) Business to Business Transaction ( व्यवसाय – व्यवसाय कार्यसम्पादन ) :-
इसे Market line में transaction कहते हैं । यह दूसरी संस्थाओं से संचार ( Communication ) यह सेवाओं को प्राप्त करने के लिये कम्प्यूटरों का उपयोग करते हैं । यह सेवाओं को प्राप्त करने के लिये e – mail और EDI ( Electronic data interchange in hindi) का उपयोग करते है । सूचना तथा अन्य सेवाओं को प्राप्त करने के लिये सर्वप्रथम Request की जाती है तथा Accept होने पर उसे प्राप्त किया जाता है ।
(iii) Intra – organization transaction ( अन्तर्संगठन कार्यसम्पादन ) :-
इसे बाजार संचालित कार्यसम्पादन ( Market driven transaction ) भी कहा जाता है । कम्पनी ग्राहक तथा अन्य उत्पादकों की जानकारी सभी कर्मचारियों को बांट देते हैं तथा ग्राहक की Requirement के अनुसार वे प्रदान की जाने वाली सेवाओं को और अधिक Improve करते हैं ताकि ग्राहक को पूर्णत : Satisfication हो ।
2. Database Managment Layer ( डेटाबेस मैनेजमेन्ट लेयर ) :-
प्रत्येक ई – कॉमर्स Application user से प्राप्त Request को संरक्षित करने के लिये तथा Request के अनुसार कार्य के लिये डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम ( DBMS ) Application का उपयोग e – commerce framework में किया जाता है । जैसे – जैसे Information resources बढ़ते जा रहे हैं , वैसे – वैसे इनके Proper तरह से Management की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही हैं ।
आजकल Information networks भी सूचना की मात्रा ( Amount of Information ) के साथ Deal करते हैं । consumer के साथ – साथ consumer तथा उसकी utility की पूरी जानकारी की भी आवश्यकता होती है । तथा अत्याधिक मात्रा में एकत्रित जानकारी को Manage करना व ढूंढना मनुष्य के लिये कठिन व Imposible है । यह कार्य सॉफ्टवेयर (सॉफ्टवेयर क्या है) से साफ्टवेयर इंजीनियर तथा Brokers के द्वारा किया जा सकता है ।
3. Interface layer ( इन्टरफेस लेयर ) :-
यह तृतीय लेयर ई – कॉमर्स अनुप्रयोग ( E – commerce application ) के लिये एक Interface उपलब्ध करवाती हैं ।
जैसे- Interactive catalogs , directory service functions आदि । यह Interactive catlog और Directories Services को सपोर्ट करता है , जिससे किसी भी जानकारी को ढूंढना तथा उसे एक्सेस करना आसान हो जाता हैं । क्योंकि इससे जुड़े सभी फंक्शन Directory सुरक्षित रहते हैं । Interactive catalogs बिल्कुल कागज पर आधारित Catalogs की तरह ही होते हैं परन्तु इनमें कुछ अन्य Features भी उपलब्ध होती हैं । जैसे – Graphics , animations आदि ।
4. Secure Messaging Layer ( सिक्योर मैसेजिंग लेयर ) :-
E – Commerce architecture की इस Layer में HTTP ( hyper | text transfer protocol हाईपर टैक्स्ट ट्रांस्फर प्रोटोकॉल ) पर आधारित Encripted document तथा ई – मेल के माध्यम से होने वाले catalog जारी होते हैं । जिनका उपयोग इन्टरनेट पर Commercial website का Advertisment तैयार करने के लिये उपयोग में लिये जाते हैं जिनको ऑन लाईन , रोमिंग के लिए कम्पनियाँ E – Market पर अचल करती हैं । Business transacation को सुरक्षा उपलब्ध करवाना तथा सुरक्षा से संबंधित Application प्रोग्राम Commercial website के साथ जोड़ना , सिक्योर मैसेजिंग लेयर ( Secure Messaging layer ) कहलाता है ।
Advantage of Secure Messaging layer:-
1. संदेश के द्वारा चाही गई सूचना सही समय पर ले सकते हैं।
2. यह किसी विशेष Communication प्रोटोकॉल से सम्बन्धित नहीं होता है।
3. यह सभी प्रकार से आए संदेशों को सपोर्ट करता है । यह संदेश पर Processing व उसे Deliver करने का कार्य भी करता है ।
4. इसमें किसी Pre – Processing की आवश्यकता नहीं होती है तथा संदेश Client / Server और peer to peer दोनों Computing के अनुकूल होता है ।
Disadvantages ( हानियाँ ) :
पुराने प्रोग्रामों के लिये यह नए प्रकार का अनुप्रयोग ( Application ) है ।
5. Network Interface layer ( नेटवर्क इन्टरफेस लेयर ) :-
www Application का एक Common infrastructure wireless और wireline है ।
यह व्यापार Application के लिये एक Plat form उपलब्ध करवाता है । जिसका उपयोग ई – कॉमर्स ( e – commerce ) में किया जाता है । wireless Communication standard पर उपयोग करती है , जैसे Radio . cellular , satelite और Long communication के लिये ” internet ” का उपयोग किया जाता है तथा short distance communication संचार के लिये Bluetooth का उपयोग किया जाता है । Coaxial और fiber cable का भी उपयोग किया जा सकता है ।
6. Documentation layer ( डॉक्यूमेन्टेशन लेयर / मध्यस्थ सेवाएं ) :-
ई – कॉमर्स फ्रेमवर्क ( e – commerce framework ) में बताये गये Application layer , data management layer , interface layter आदि सभी application प्रोग्राम को prepare करने के लिये प्रयोग की गई प्रोग्रामिंग भाषा , जैसे कि HTML , ASP . JSP आदि भाषायें Architecture पर आधारित Documentation के लिये उपयोग में ली जाने वाली पाँचवी लेयर है , यह एक प्रकार से मध्यस्थ का कार्य करती है जो सॉफ्टवेयर लेयर है , यह एक प्रकार से मध्यस्थ का कार्य करती हे जो सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को एक – दूसरे के साथ Communicate करने में मदद करते हैं ।
Middleware सेवायें मुख्यतः 3 Elements पर ध्यान केन्द्रित करती है ।
1. Transparency ( पारदर्शिता )
2. Transaction Security and management ( कार्यसम्पादन सुरक्षा तथा प्रबन्ध )
3. Distributed objectmanagement & services ( वितरित वस्तु प्रबन्ध तथा सेवाएं )
1. Transparency ( पारदर्शिता ) :-
पारदर्शिता middleware का उपयोग करके पूरी की जाती है , यह Distributed computing environment की सहायता करता है । यह consumers को अधिकार देता है जिससे डेटा को एक्सेस किया जा सके तथा उनकी Computation कर सकें । Mejor system का ढांचा middleware पर निर्भर होता है ।
Consumers नेटवर्क पर अपनी जानकारी की Location जानना चाहते हैं , परन्तु Developers Resources को सही Location नहीं बताते हैं । उपभोक्ता के Application request को सर्वप्रथम Middleware को भेजी जाती है जो कि बाद में Remote information का उपयोग करके संतुष्ट किया जाता हैं ।
2. Transaction Security and management ( कार्यसम्पादनसुरक्षा तथा प्रबन्ध ) :-
Transaction security level ) पर मुख्यत : 2 Catagories पर कार्य करती हैं ।
1 . Authentication 2 . Authorization
यह व्यापार जो डेटा का नुकसान नहीं सह सकते तथा वापिस डेटा को प्राप्त करने की प्रक्रिया को भी नहीं कर सकते उनके लिये यह Transaction integrity आवश्यक हैं ।
इसके लिये Middleware कुछ Qualities उपलब्ध करवाते हैं जैसे कि Standard TP System : ACID ( Automatically , consistency , isolation and durability )
3 . Distributed object management and service ( वितरित वस्तु प्रबन्ध तथा सेवाएं ) :-
डेटा का Combination तथा instruction ऑब्जेक्ट होते है । ई – कॉमर्स ( e – commerce ) में किसी भी ऑब्जेक्ट का साधारण उदाहरण Document होता है । Document डेटा तथा instruction को अपने पास रखते है , और जिन्हें बाद में Execute करवाया जाता है , वर्तमान में ” object ” और ” Documents ” दोनों का ही उपयोग किया जाता है । इसी वजह से कम्प्यूटिंग के एक नए रूप का विकास हुआ है , जिसे Document oriented computing कहा जाता है । यह Single data type Document को एक पूर्ण प्रलेख जैसे- Text , graphics , picture , vedio आदि में भेज देते हैं । इसे Compound document architecture कहा जाता हैं ।