हेल्लो दोस्तों! आज हम इस पोस्ट में History of IoT in Hindi (आईओटी का इतिहास) के बारें में पढेंगे. इसे आप पूरा पढ़िए, आपको यह आसानी से समझ में आ जायेगा. तो चलिए शुरू करते हैं:-
History of IoT in Hindi
IoT का इस्तेमाल आज के समय में बहुत ज्यादा किया जाता है परन्तु इसका इतिहास बहुत पुराना है. 1800 के दशक से ही ऐसी technology विकसित होना शुरू हो गयी थी जिन्होंने बाद में IoT का रूप धारण किया.
1832 में, Baron Schilling ने रूस में electromagnetic telegraph का निर्माण किया था. 1833 में Carl Friedrich Gauss और Wilhelm Weber ने 1200m की दुरी तक communicate करने के लिए अपना एक code विकसित किया था.
1844 में, Samuel Morse ने सबसे पहला public telegraph message भेजा था. यह message था “What hath God wrought!”
1955 में, Edward O. Throp ने पहला wearable computer बनाया जिसका प्रयोग roulette wheels (चरखी) की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता था.
1962 में, AT&T ने पहला commercial modem बनाया. जिसका नाम Bell 103 था. इस पहले आविष्कार ने बाद में M2M cellular modem को जन्म दिया. इस modem के द्वारा IoT devices को cellular connectivity प्रदान की गयी.
1965 में, सबसे पहली बार MIT Lincoln Lab में दो computers ने आपस में एक दूसरे से communicate किया.
1968 में, Theodore Paraskevakos ने Machine 2 Machine (M2M) technology के कांसेप्ट का अविष्कार किया था.
1973 में, मार्टिन कूपर ने Motorola में काम करते हुए सबसे पहले मोबाइल फोन का अविष्कार किया. इस अविष्कार ने cellular data को भी introduce किया. आज हम data plans से भलीभांति परिचित है.
1990 में, पहली IoT device का निर्माण किया गया था. John Romkey ने smart toaster को बनाया था जिसे internet के द्वारा control किया जाता था.
1991 में, wireless network के लिए सबसे पहला sim card विकसित किया गया. इसके द्वारा एक से ज्यादा devices को एक direct source से connect किया जा सकता है.
1999 में, internet of things (IoT) के कांसेप्ट का जन्म हुआ. Procter & Gamble में काम करते हुए Kevin Ashton ने internet of things का नाम दिया था.
2000 में, LG ने पहला refrigerator का निर्माण किया जिसे wifi के साथ connect किया जा सकता था. यह घरों में प्रयोग किये जाने वाला पहला object था.
2003 में, कंपनियां M2M की जगह IoT शब्द का use करने लग गयी थी. और M2M sim cards की जगह IoT sim cards का use किया जाने लगा.
2011 में, internet protocol का सबसे नया version रिलीज़ किया गया था. IPV6 सार्वजनिक लॉन्च IoT के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था क्योंकि कई निजी कंपनियों और फंडिंग एजेंसियों ने IoT उद्योग को नोटिस किया था।
2013/2014 में, IoT devices ने sensors का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था. इसके द्वारा लोग अपने घरों की light, doors, AC को अपने phone के द्वारा control कर सकते हैं.
2014 में, Dublin दुनिया की पहली smart city बनी. शहर के कार्यों को control करने के लिए IoT devices का इस्तेमाल किया जाने लगा.
2017 में, internet of things का इस्तेमाल military में व्यापक रूप से किया जाने लगा.
2018 में, स्वास्थ्य के क्षेत्र में IoT का इस्तेमाल होने लगा. इसके द्वारा मरीजों के data को smart devices के द्वारा access किया जाने लगा. और wearable devices भी बहुत popular होने लग गयी. जैसे कि – glucose monitoring devices, heartbeat devices आदि.
- Characteristics of IoT in Hindi
- Software-Defined Network in Hindi
References:- https://www.simoniot.com/history-of-iot/
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