हेल्लो friends! आज हम इस article में Phases of Compiler in Hindi (कम्पाइलर के फेज) के बारें में पढेंगे, और इसके बारें में विस्तार से जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं:-
Phases of Compiler in Hindi – कम्पाइलर के फेज
कम्पाइलर एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो कि high level language code को machine level language code में बदल देता है जिससे कि कंप्यूटर प्रोसेसर इसे आसानी से समझ सके.
code को एक language से दूसरे language में बदलने में बहुत सारीं प्रक्रियाएं होती है. इन प्रक्रियाओं को हम phases में बाँट सकते है. इसमें प्रत्येक phase एक रूप में source program को लेता है और इसे output में दूसरे रूप में देता है. प्रत्येक phase अपने पिछले phase से इनपुट लेता है।
इसके 6 phases निम्नलिखित हैं:-
Lexical analysis
Lexical analyzer जो है वह compilation की प्रक्रिया का पहला फेज होता है. यह फेज text scanner की तरह कार्य करता है. यह source program को इनपुट की तरह लेता है. यह source program के एक character को एक समय में read करता है और इसे lexemes में बदल देता है. lexical analyzer टोकन (tokens) के रूप में इन lexemes को प्रस्तुत करता है।
Syntax analysis
यह compilation की प्रक्रिया का दूसरा phase है. इसे parsing भी कहते है. यह tokens को input की तरह लेता है और parse tree को output के रूप में जनरेट करता है. इस phase में parser यह check करता है कि tokens के द्वारा बनाये गये expressions सही है या नही.
Semantic analysis
यह इसका तीसरा phase होता है. यह check करता है कि parse tree, लैंग्वेज के rules को follow करता है या नही. इसके साथ साथ Semantic analyzer जो है वह identifiers, उनके प्रकार, और expressions को भी track करता है. Semantic analyzer आउटपुट में annotated syntax tree को produce करता है.
Intermediate code generation
Intermediate code generation में, कम्पाइलर target machine के लिए source code के intermediate code को जनरेट करता है. intermediate code जो है वह high level language और machine language के मध्य जनरेट होता है. इस code को इस प्रकार जनरेट होना चाहिए जिससे कि इसे target machine code में आसानी से translate किया जा सके.
Code optimization
यह code optimization एक optional फेज होता है. इसका प्रयोग intermediate code को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है जिससे कि program का output तेज run हो और space कम ले. यह अनावश्यक codes को remove कर देता है और codes को एक क्रम में arrange कर देता है जिससे program के execution की speed बढ़ जाती है.
Code generation
यह compilation process का आंखिरी phase है. यह optimize किये गये intermediate code को input की तरह लेता है और इसे target machine language में map करता है. code generator जो है वह intermediate code को machine code में बदल देता है.
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