qualities of leader in hindi अच्छे नेता की विशेषताएं

आज हम नेता (leader) की विशेषताओं के बारें में पढेंगे.

qualities and characteristics of a good leader in hindi

नेता (leader) बनना एक बात है और नेता बनकर कुशल नेतृत्व (leadership) करना दूसरी बात है. कुशल नेतृत्व करने के लिए एक नेता में क्या गुण (विशेषतायें) होनी चाहिए, इस पर भिन्न भिन्न लोगों ने अपने अध्ययन के आधार पर भिन्न भिन्न गुण बताये है. तो आज हम नेता के गुणों के बारें में आपको बताएँगे.

1:- उत्तम शारीरिक स्वास्थ्य (best physical health) –

समूह किसी भी प्रकार का हो कितना भी बड़ा या छोटा हो, उसमें नेता (leader) को कुछ भाग-दोड़ करनी पड़ती है और कुछ कार्य भी करने पड़ते है, इसके लिए पहली आवश्यकता उत्तम स्वास्थ्य की होती है. उत्तम स्वास्थ्य से हमारा यहाँ तात्पर्य उसके शरीर के आतंरिक अंगों के ठीक प्रकार से कार्य करने और बाह्य अंगों के शक्तिशाली होने से है. क्योंकि बिना अच्छे स्वास्थ्य के कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं हो सकता है.

अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि सुडोल शरीर, चेहरे पर चमक, और आँखों में चुम्बकीय शक्ति वाले व्यक्ति नेतृत्व में अधिक सफल होते है. यदि स्वस्थ शरीर के साथ नेता में यह सब कुछ भी हो तो सोने में सुहागा समझिये.

2:- उत्तम मानसिक स्वास्थ्य (best mental health) –

समूह में नेता (leader) को निर्णय लेने होते है और योजनायें बनानी होती है. यह निर्णय और योजनायें चाहें वह स्वयं ले या बनाये. और चाहे समूह के सदस्यों के सहयोग से ले और बनाये. इस सबके लिए उसका मानसिक स्वास्थ्य सही होना चाहिए. उसकी चिन्तन तथा तर्क शक्ति पूर्ण रूप से विकसित होनी चाहिए.

समूह के संचालन में कभी कभी समस्याएं भी आती है इन समस्याओं को समझने तथा उनका समाधान करने के लिए नेता में मानसिक शक्ति तथा योग्यता का होना बहुत आवश्यक है. जिस नेता में ये सब मानसिक शक्तियां जितनी अधिक विकसित होती है वह समूह को उतना ही अधिक अच्छा नेतृत्व प्रदान करता है.

3:- उच्च बुद्धि (high intelligence) –

उच्च बुद्धि से यहं तात्पर्य उच्च ज्ञानात्मक बुद्धि से है. ज्ञानात्मक बुद्धि में जिन उच्च मानसिक शक्तियों (चिन्तन, तर्क और समस्या-समाधान) का महत्व सर्वाधिक है. उनकी चर्चा हम मानसिक स्वास्थ्य के अंतर्गत कर चुके है.

यहाँ उच्च बुद्धि से हमारा तात्पर्य उच्च विवेक शक्ति से है. यह देखा जाता है कि चिन्तन और तर्क से लिए गये निर्णय भी कभी कभी पूर्ण रूप से सही नहीं होते है इसलिए इसके सम्बन्ध में यह निर्णय करने के लिए वे कितने सही है, विवेक शक्ति की आवश्यकता होती है. जिस नेता में विवेक शक्ति जितनी अधिक होती है, वह उतने ही अधिक सही रूप से निर्णय ले सकता है. योजनायें बना सकता है योजनाओं को क्रियान्वित कर सकता है और समूह के उद्देश्यों की प्राप्ति में सफल हो सकता है.

 

4:- उत्तम सामाजिक भावना (great social feeling):-

सामाजिक भावना तो मनुष्य में जन्म से ही होती है. उसमें सामूहिकता की मूलव्रत्ति होती है जो उसे समाज से जुड़ने की और अग्रसर करती है. परन्तु इस जन्मजात सामाजिक भावना में प्रेम के साथ द्वेष की भावना, सहयोग के साथ असहयोग की भावना और शांति के साथ संघर्ष की भावना अर्थात positive सामजिक भावनाओं के साथ negative सामाजिक भावना भी होती है.

समूह के नेता (leader) को तो सदैव समूह के हित में सोचना और करना होता है. इसलिए उसमें positive सामाजिक भावनाएं ही होनी चाहिए. इन सामाजिक भावनाओं के लिए उसमें उच्च स्तर की सामाजिक बुद्धि होनी चाहिए तभी वह negative और positive भावनाओं में अंतर कर सकता है. उच्च सामाजिक बुद्धि के साथ साथ उसमें उच्च स्तर की संवेगात्मक बुद्धि भी होनी चाहिए जिसकी सहायता से वह दूसरों के मनोभावों को भी समझ सके.

5:- भाषा पर अधिकार और संवाद कौशल (command of language and communication skills) –

नेता (leader) को समय समय पर समूह के सदस्यों से संवाद (communication) करना होता है. इसके लिए उसे संवाद की आधार भाषा पर अधिकार होना चाहिए अर्थात जिस भाषा में वह संवाद करता है वह भाषा उसे अच्छी तरह आनी चाहिए. और साथ ही संवाद कौशल में निपुण होना चाहिए.

आप जानते है कि वर्तमान युग में बिना भाषा के संवाद नही किया जा सकता और बिना प्रभावशाली भाषा के प्रभावशाली संवाद नही किया जा सकता इसलिए एक नेता का भाषा पर अधिकार होना चाहिए अर्थात् उसे भाषा अच्छी तरह आनी चाहिए. अगर संवाद प्रभावशाली होगा तो समूह के लोगों पर उसका प्रभाव उतना ही होगा और समूह का कार्य उतने ही अच्छे ढंग से अग्रसर होगा.

6:- आत्मविश्वास (self-confidence) –

आत्मविश्वास तो हर किसी व्यक्ति के लिए किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए जरुरी होता है. यह तो सफलता की कुंजी माना जाता है. बिना आत्मविश्वास के पहली बात तो यह है कि नेता सही निर्णय नहीं ले सकता और यदि सही निर्णय ले भी लेता है तो इस दुविधा में पड़ा रहता है कि पता नहीं उसका यह निर्णय सही है अथवा नहीं. यह नेता (leader) का आत्मविश्वास ही होता है जो उसे सही निर्णय लेने और निर्णय के अनुसार कार्य करने में सहायता करता है.

हम सबका अनुभव है कि आत्मविश्वास तो नेता के चेहरे पर स्वंय झलकता है, आत्मविश्वास की झलक के अभाव में नेता का समूह पर प्रभाव नहीं पड़ता. हमारा तो यह भी अनुभव है कि बिना आत्मविश्वास के न तो नेता प्रभावशाली भाषा शैली का प्रयोग कर सकता है और न संवाद को प्रभावशाली बना सकता है.

7:- आशावादी दृष्टिकोण (optimistic approach) –

एक नेता (leader) में आत्मविश्वास के साथ आशावादी दृष्टिकोण होना भी आवश्यक है. सामन्यतया जिस नेता में आत्मविश्वास होता है, वह आशावादी होता है, उसे पूर्ण विशवास होता है कि जो निर्णय उसने लिए है और समूह की सफलता के लिए जो योजनायें उसने बनायीं है वे कारगर सिद्ध होंगी.

परन्तु जब कभी आशा के अनुकूल सफलता नहीं मिलती है तो नेता में निराशा घर कर जाती है, परन्तु यदि आत्मविश्वास के साथ उसमें आशावादी दृष्टिकोण होता है और उसे अच्छे परिणाम की आशा होती है तो वह बिना निराश हुए अपने निर्णय और योजनाओं में आवश्यक परिवर्तन कर समूह को सफलता के मार्ग पर अग्रसर कर देता है. तभी कहते है कि आत्मविश्वास सफलता की कुंजी होती है और आत्मविश्वास की कुंजी आशावादी दृष्टिकोण है.

इसे भी पढ़ें:- leadership (नेतृत्व) क्या है? तथा इसके प्रकार क्या है?

8:- पहल (initiative) –

पहल का सामान्य अर्थ है- शुरू करना. नेतृत्व (leadership) के सन्दर्भ में इसका अर्थ है- चाहे समूह में कोई निर्णय लेना हो, चाहे समूह में कोई योजना बनानी हो और चाहे समूह में किसी योजना को क्रियान्वित करना हो, नेता को इन सब कार्यों में आगे रहना चाहिए. नेता का कार्य समूह का केवल मार्गदर्शन करना और समूह को कार्य की और अग्रसर करना ही नहीं है. अपितु उसे स्वयं समूह की योजनाओं के क्रियान्वन में पहल करनी चाहिए. आगे बढ़कर भाग लेना चाहिए तभी समूह के सदस्य उसका अनुसरण कर समूह के कार्य को आगे बढ़ाएंगे.

नेता को तो एक बार पहल करनी होती है उसके बाद समूह के सदस्य खुद कार्य को पूरा करते है. उदाहरण के लिए:- यदि समूह में रक्तदान करने का निर्णय लिया जाए तो सर्वप्रथम नेता को रक्तदान करना चाहिए. उसकी यह पहल निर्देशन का कार्य करेगी और समूह के सभी सदस्य समूह के निर्णय के अनुसार रक्तदान करेंगे.

9:- सामान्य और विशिष्ट ज्ञान (general and specific knowledge) –

कुशल नेतृत्व के लिए नेता में जीवन से सम्बन्धित सामान्य ज्ञान के साथ-साथ समूह से सम्बन्धित विशिष्ट ज्ञान भी होना चाहिए, उसे समूह के उद्देश्य तथा उद्देश्यों का स्पष्ट ज्ञान होना चाहिए. इस ज्ञान के अभाव में वह न तो सही निर्णय ले सकता है न ही योजनायें बना सकता है.

10:- अंतर्दृष्टि और दूर दृष्टि (insight and vision) –

नेता (leader) को समूह के वर्तमान के साथ साथ समूह के भविष्य के विषय में भी सोचना होता है. और उसके लिए उसमें अंतर्दृष्टि और दूर दृष्टि दोनों होनी चाहिए. इन दृष्टियों से ही वह भविष्य का अनुमान लगा सकता है. और भविष्य में आने वाली समस्याओं का समाधान ढूंढ सकता है.

11:- गंभीर और विनोद (serious and humorous) –

नेता (leader) का गम्भीर होना बहुत आवश्यक है बिना गंभीरता के वह समूह पर नियन्त्रण नहीं रख सकता है. समूह के सदस्यों से उसे काम लेने के लिए भी उसे गंभीर होना पड़ता है.

गंभीरता के साथ साथ उसे विनोद भी होना पड़ता है. विनोद से समूह के सदस्यों में एक ख़ुशी का माहौल बना रहता है. और सदस्य उत्साह के साथ अपना कार्य करते है.

12:- लोकत्रंतीय व्यवहार (democratic behavior) –

लोकत्र्न्तीय व्यवहार तो नेतृत्व का मुख्य आधार होता है. व्यवहार में नेता समूह के सदस्यों का आदर करता है, उसके साथ प्रेम, सहानभूति और सहयोगपूर्ण व्यवहार करता है, वह समूह के उद्देश्य, समूह के कार्यों और सदस्यों का सम्मान करता है.

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