hello friends! आज मैं आपको इस post में what is transformer in hindi (ट्रांसफार्मर क्या है?) तथा इसके प्रकार, parts, working, cooling, energy losses तथा configuration के बारें में विस्तार से बताऊंगा. तो इस पोस्ट को आप ध्यानपूर्वक पूरा पढ़िए. यह आपको समझ आ जायेगा. तो चलिए start करते है:-
what is TRANSFORMER in hindi (ट्रांसफार्मर क्या है?)
Transformer एक ऐसी passive इलेक्ट्रिकल डिवाइस है जो electrical energy (विधुत ऊर्जा) को दो या दो से ज्यादा circuits में ट्रान्सफर करता है.
सामान्यतया “ट्रांसफार्मर एक सरल static या स्थिर electro-magnetic इलेक्ट्रिकल डिवाइस है जो फैराडे के law of induction के सिद्धांत पर कार्य करता है.”
ट्रांसफार्मर का ज्यादातर उपयोग circuits में voltage levels को step up (increase) या step down (decrease) करने के लिए किया जाता है. अर्थात् इसका मुख्य प्रयोग वोल्टेज को घटाने और बढाने के लिए किया जाता है.
Working principle of transformer
Transformer फैराडे के electromagnetic induction के नियम पर कार्य करता है. फैराडे के इस नियम के अनुसार “जब primary coil में current (धारा) change होती है तब secondary coil से जुड़ा हुआ flux भी change होता है इसलिए secondary coil में विधुत वाहक बल induce (उत्प्रेरित) होता है.”
Parts of Transformer in hindi
ट्रांसफार्मर के तीन मुख्य part होते हैं-
- Primary winding (प्राथमिक विन्डिंग)
- Core
- Secondary winding (द्युतीयक विन्डिंग)
1)- Primary winding – जो विन्डिंग, source से electrical power प्राप्त (receive) करती है उसे प्राइमरी winding कहते हैं.
2)- Core – इसका प्रयोग ट्रांसफार्मर में उत्पन्न magnetic flux को path (रास्ता) प्रदान करने के लिए किया जाता है. transformer का core स्टील का कोई ठोस bar नहीं होता है ये एक ऐसी संरचना होती है जिसमे steel के पतले laminated sheets या layers होते हैं. यह संरचना इसलिए use की जाती है क्योंकि इस संरचना से heat काफी कम हो जाती है. इस संरचना का प्रयोग heat को कम तथा खत्म करने के लिए किया जाता है.
ट्रांसफार्मर में दो प्रकार के core प्रयोग किये जाते हैं.
i) Core type- इस प्रकार के core मैं windings, laminated core के बाहर लपेटी जाती है.
ii) Shell type- इस प्रकार के core में windings, laminated core के अन्दर रहती हैं.
3)- Secondary winding – जो winding हमें वांछित आउटपुट voltage देती है उसे secondary winding कहते हैं.
Working of Transformer in hindi (ट्रांसफार्मर की कार्यविधि)
जब कोई इनपुट वोल्टेज, प्राइमरी winding में apply किया जाता है तब alternating current (प्रत्यावर्ती धारा) प्राइमरी winding में flow होने लगती है. इससे ट्रांसफार्मर के core में एक magnetic field (चुम्बकीय क्षेत्र) उत्पन्न होता है जब यह magnetic field सेकेंडरी winding को काटता है तब सेकेंडरी winding में alternating voltage उत्पन्न होती है.
दोनों winding के wire के turns के अनुपात से हम यह ज्ञात कर सकते हैं कि transformer किस प्रकार का transformer है और आउटपुट voltage क्या होगी.
output voltage और इनपुट voltage का अनुपात दोनों windings के wire के turns के अनुपात के बराबर होता है.
एक ट्रांसफार्मर का आउटपुट वोल्टेज, इनपुट वोल्टेज से ज्यादा होता है यदि उसकी secondary winding के wire के turns की संख्या प्राइमरी winding के wire के turns से ज्यादा होती है.इसलिए इस प्रकार के transformer को step up transformer कहते हैं.
यदि secondary winding में turns कम हों तो output voltage, input voltage से कम होगी, इसलिए इसे step down transformer कहते हैं.
Transformer की संरचना-
ट्रांसफार्मर में windings एक दूसरे के साथ electrically जुडी नहीं रहती हैं परन्तु magnetically एक दूसरे से connect (जुडी) रहती हैं.
Transformer EMF equation
यदि core में flux sinusoidal है तो winding के rms(root mean square) voltage (Erms) और फ्रीक्वेंसी (f),no of turns(n), core cross sectional area(a) , peak magnetic flux density (Bp) के बीच सम्बन्ध universal EMF equation के द्वारा दिया जाता है.
Types of Transformer in hindi (ट्रांसफार्मर के प्रकार)
ट्रांसफार्मर बहुत प्रकार के होते हैं, जो electrical पॉवर सिस्टम में अलग अलग उद्देश्य के लिए प्रयोग किये जाते हैं. जैसे कि power generation में, power distribution में और transmission में transformer का प्रयोग होता है.
ट्रांसफा.र्मर को voltage level, core medium used, winding arrangements तथा उनके उपयोग के आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं.
ट्रांसफार्मर के प्रकार उनके voltage levels के आधार पर
Step – Up transformer- एक ट्रांसफार्मर जो प्राइमरी winding से secondary winding के बीच voltage को बढाता है, उसे step – up transformer कहते हैं. इसमें secondary windings, primary windings से ज्यादा होती हैं.
Step – Down transformer– एक ट्रांसफार्मर जो primary winding से secondary winding के बीच voltage को घटाता है, उसे step – down transformer कहते हैं. इसमें secondary windings, primary windings से कम होती हैं.
ट्रांसफार्मर के प्रकार core medium के आधार पर –
इस प्रकार के transformers को primary तथा secondary winding के बीच मौजूद core के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है.
Air core transformer– इस तरह के ट्रांसफार्मर में primary और secondary windings एक अचुम्ब्कीय पट्टी में लपेटी जाती हैं. यहाँ primary और secondary windings के बीच flux linkage हवा के द्वारा होता है.
इस प्रकार के transformer का mutual inductance, iron core के मुकाबले कम होता है.
इस तरह के transformer में hysteresis और eddy current loss पूरी तरह ख़त्म हो जाते हैं.
Iron core transformer– iron core ट्रांसफार्मर में primary और secondary windings एक iron core में लिपटी रहती हैं. जो generated flux को सबसे बढ़िया linkage path प्रदान करता है. इन transformers की दक्षता air core type transformers से ज्यादा होती है.
ट्रांसफार्मर के प्रकार winding arrangements के आधार पर–
Auto Transformer in Hindi
auto transformer में सिर्फ एक winding होती है इसमें primary और secondary windings एक ही winding को share करते हैं. एक ही winding, primary और secondary दोनों की तरह use होती है.
Autotransformer के लाभ
1)- क्योंकि autotransformer में केवल एक ही winding होती इसलिए इसका size बाकि transformers के मुकाबले कम हो जाती है जिससे इसका cost भी कम हो जाता है.
2)- इसकी efficiency दो winding वाले transformer से ज्यादा होती है.
3)- autotransformer का voltage regulation बढ़िया होता है.
disadvantage of Autotransformer in hindi
1)- primary और secondary windings के बीच leakage flux कम होता है जिससे impedance भी कम होता है.इसमें गलत conditions के अन्दर short circuit भी हो सकता है.
2)- star- star connected autotransformer में common neutral होने के कारण सिर्फ एक side का neutral earth नही किया जा सकता, दोनों sides का neutral earth करना पड़ता है.
Applications of autotransformer in hindi
1)- autotransformer का use induction और synchronous motor को start करने के लिए किया जाता है.
2)- इसका प्रयोग transmission lines का voltage को regulate करने के लिए किया जाता है.
प्रयोग के आधार पर ट्रांसफार्मर के प्रकार
power transformer– ये size में बड़े होते हैं. यह high voltage (33kv से ज्यादा ) मैं प्रयोग किये जाते हैं. और ये power generation स्टेशन और transmission substation में use होते हैं.
Distribution transformer– power generation प्लांट में produce होने वाली power को दूर के इलाकों मैं distribute करने के लिए distribution transformer का प्रयोग होता है. यह कम voltage level (33kv से कम) की electrical energy को डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए use किया जाता है.
Measuring transformer– यह voltage, current, power जैसी electrical quantity को measure करने के लिए प्रयोग किया जाता है. protection transformer तथा current transformer में वर्गीकृत किया जा सकता है.
Protection transformer– इस तरह केट्रांसफार्मर का प्रयोग component के protection के किया जाता है. प्रोटेक्शन ट्रांसफार्मर, measuring transformer से ज्यादा accurate होते हैं.
energy losses of transformer in hindi (इसकी हानियाँ)
इसमें ज्यादातर हानियाँ winding और core हानियाँ होती हैं.
ट्रांसफार्मर कि हानियाँ load बदलने के साथ बदलती हैं. हानियाँ no load पर भी होती हैं , full load पर भी होती हैं, तथा half load पर भी होती हैं.
hysteresis और eddy current loss हर load level पर constant रहती हैं और जब कोई load नही होता तब यह हानियाँ बढ़ जाती हैं. वही winding loss load बढ़ने के साथ बढती हैं.
हानियाँ कम करने के लिए हमें बड़ा core, अच्छी quality का silicon steel या फिर amorphous steel और मोटे तार की जरुरत होती है जिससे हमारा cost (खर्चा) काफी बढ़ जाता है.
Winding Joule loss- windings के conductor मैं बढ़ने वाली धारा wire के resistance के कारण joule हीटिंग produce करती है. जैसे जैसे फ्रीक्वेंसी बढती है, skin effect और proximity effect के कारण winding के resistance मैं फर्क पड़ता है. इसलिए हानियाँ बढ़ जाती हैं.
Core losses- core losses दो type कि होती हैं एक hysteresis loss और eddy current loss.
Hysteresis loss- जितनी बार magnetic field reverse होता है उतनी बार energy का एक छोटा हिस्सा core के hysteresis के कारण व्यर्थ हो जाता है.
Eddy current loss –changing magnetic field के कारण conductive metal transformer core में eddy currents induce होती हैं. और यह current जब iron के resistance से होकर गुजरती है तो core में heat उत्पन्न होती है. eddy current losses को कम करने के लिए core को एक ऐसा stack बनाया जाता है जिसमे पतली laminated sheets होती हैं जो एक दूसरे से इंसुलेटेड रहती हैं.
Humming loss – magnetic flux किसी ferromagnetic प्रदार्थ को जैसे कि core को magnetic field की हर cycle के साथ बढ़ा देता है तथा सिकोड़ देता है, जिससे एक आवाज उत्पन्न होती है जिसे transformer hum कहते हैं.
Stray losses – transformer में leakage inductance बहुत कम होता है क्योंकि जो भी उर्जा magnetic field को supply की जाती है वो अगली half cycle मैं supply को वापस कर दी जाती है. लेकिन फिर भी कुछ leakage flux, नजदीकी conductive प्रदार्थ को रोक देता है जिससे eddy currents बढती हैं और heat में बदल जाती हैं. इसी को stray losses कहते हैं.
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Configuration of Transformers in hindi
ट्रांसफार्मर के single phase तथा three फेज सिस्टम के लिए अलग अलग तरह के configurations होते हैं.
Single phase Transformer– अन्य किसी भी electrical डिवाइस कि तरह single phase ट्रांसफार्मर भी serial या parallel में connect किये जा सकते हैं. उदहारण के लिए distribution transformers सामन्यतया कम वोल्टेज windings के साथ serial या parallel में connect किया जा सकता है.
Three phase transformer- 3-phase का प्रयोग विधुत उर्जा के generation, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन और साथ ही साथ industrial work में किया जाता है.
3-phase supply के single phase supply से ज्यादा electrical लाभ होते हैं. जब हम 3- phase transformer कि बात करते हैं तब हमें तीन alternating voltage और current का ध्यान रखना पड़ता है जो कि 120 degree phase-time में एक दूसरे से अलग रहते हैं.
transformer किसी phase changing डिवाइस कि तरह कार्य नहीं कर सकता है. किसी transformer को 3-phase supplies के अनुकूल बनाने के लिए हमें connectors को एक निश्चित रूप में connect करना होता है जिससे कि ये एक 3-phase transformer कॉन्फ़िगरेशन बन जाये.
एक 3-phase transformer बनाने के लिए हम या तो तीन single phase transformers को connect कर सकते हैं या हम एक पहले से assembled और balanced 3-phase transformer, जिसमे single phase winding के तीन pair एक single laminated core में mount हों, use कर सकते हैं.
3-phase transformer winding को तीन रूपों मैं connect किया जा सकता है-
1) Star connection (wye) (Y)
2) Delta connection (mesh)()
3) Interconnected star (zig- zag)()
Three phase transformer को अलग अलग configurations में connect किया जा सकता है-
i) star – star
ii) delta – delta
iii) star – delta
iv) delta – star
Star – Star configuration– star – star connection का use छोटे high voltage transformers के लिए किया जाता है. क्योंकि star connection के कारण turns/phase की संख्या कम हो जाती है (क्योंकि star connection में फेज voltage line voltage का 1/√3 गुना होता है). तो इसलिए insulation का amount भी कम हो जाता है. प्राइमरी side सेकेंडरी side के line voltage का अनुपात transformation ratio के बराबर होता है. दोनों sides में line voltages एक दूसरे के phase में होते हैं. यह connection सिर्फ balanced load के साथ ही use किया जा सकता है.
Delta – Delta configuration– इस connection का उपयोग बड़े low voltage transformer के लिए किया जाता है. इसमें required phase/turns कि संख्या star- star connection से ज्यादा होती है. primary और secondary side line voltages का अनुपात transformation ratio के बराबर होता है. इस connection का प्रयोग unbalanced load के लिए भी हो सकता है.
Star – Delta configuration– इस connection में प्राइमरी विन्डिंग star से जुडी होती है जिसमे neutral grounded रहता है और सेकेंडरी विन्डिंग, delta से जुडी होती है. इस connection का उपयोग step down transformer में होता है. secondary से primary line voltage का अनुपात transformation ratio का 1/√3 गुना होता है. इसमें primary और secondary line voltage के बीच 30° का phase shift रहता है.
Delta – Star configuration– इसमें प्राइमरी विन्डिंग, delta से connect रहती है तथा सेकेंडरी विन्डिंग star से connected रहती है, जिसका neutral grounded रहता है. इस प्रकार यह configuration, three phase 4 वायर सेवा प्रदान करने के लिए use किया जा सकता है. इस तरह का connection ट्रांसमिशन लाइन के शुरुआत में step- up transformer में मुख्यतः use किया जाता है. इसमें सेकेंडरी से प्राइमरी line voltage का अनुपात transformation ratio का √3 गुणा होता है. primary और secondary line voltage के बीच 30°phase shift रहता है.
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Cooling of transformer in hindi
transformer में बहुत सारे losses होते हैं इसलिए उसमे heat भी बहुत उत्पन्न होती है तो उस heat को कम करने के लिए ट्रांसफार्मर को cooling की आवश्यकता पडती है.
ट्रांसफार्मर को दो types में divide किया जा सकता है-
1)- dry type transformer 2)- oil immersed transformer
transformer की cooling के विभिन्न तरीके हैं-
dry type ट्रांसफार्मर के लिए –
1)- air natural- यह method छोटे transformer में use किया जाता है. इसमें transformer को natural हवा से खुद ही ठंडा होने दिया जाता है.
2)- air blast- 3MVA से ज्यादा रेटिंग वाले transformer को natural air से ठंडा नही किया जा सकता. इसलिए इस विधी में core और windings में पंखों कि मदद से हवा फैंकी जाती है. इस method का प्रयोग 15MVA तक कि रेटिंग वाले transformer को ठंडा करने के किया जाता है.
oil immersed ट्रांसफार्मर के लिए –
1)- oil natural air natural- इस विधी का प्रयोग oil immersed transformer के लिए किया जाता है. इस method में, जब core और winding में heat उत्पन्न होती है तो यह oil को ट्रान्सफर कर दी जाती है. convection के सिद्धांत के अनुसार, गरम तेल ऊपर कि दिशा में बहता है और उसके बाद रेडियेटर मैं चला जाता है. अब जो नीचे खाली जगह बनती है उसमे ठंडा तेल चला जाता है. तेल में जो heat होती है वो natural air flow से वातावरण मैं चली जाती है. इस प्रकार यह cycle चलती रहती है. इस method का उपयोग 30MVA तक के transformer के लिए किया जाता है.
2)- oil natural air forced- heat को बेहतर तरीके से कम करने के लिए हम जहाँ से heat नष्ट होती है उस जगह पर forced air का प्रयोग कर सकते हैं. forced air का इस्तेमाल करने पर heat जल्दी नष्ट होती है. इस method में रेडियेटर के पास fans mount कर दिए जाते हैं. इस cooling method का प्रयोग 60MVA तक कि रेटिंग के transformers को cool करने के लिए किया जाता है.
3)- oil forced air forced- इस method में oil को पंप कि सहायता से घुमाया जाता है. इसमें तेल को heat exchanger से बलपूर्वक घुमाया जाता है और heat exchanger में fans की मदद से compressed air flow करवाई जाती है. इस प्रकार कि cooling के तरीके का प्रयोग ज्यादा रेटिंग वाले transformer, जो कि power stations पर होते है, को ठंडा करने के लिए किया जाता है.
4)- oil forced water forced- यह विधी oil forced air forced विधी की तरह ही है परन्तु इसमें पानी का इस्तेमाल किया जाता है heat को heat exchanger से नष्ट करने के लिए. oil को pump कि सहायता से heat exchanger से flow करने के लिए force किया जाता है जहाँ heat पानी में नष्ट हो जाती है और फिर गरम हुए पानी को अलग ले जाकर कूलर्स मैं डाल दिया जाता है. इस method का उपयोग बहुत ज्यादा रेटिंग वाले transformer में use किया जाता है जिनकी रेटिंग hundred MVA मैं हो.
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