EDI standard इलैक्ट्रॉनिक रूप में व्यापार की information के Interprocess Communication को define करता है । जिसमें एक Computer Application दूसरे another computer application से व्यापार की जानकारी EDI के द्वारा इन्टरचेंज करता है । अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि EDI किसी भी प्रकार के व्यापार की जानकारी कम्पनियों , सरकार , बैंक , छोटे तौर पर होने वाले व्यापार के बीच लेन – देन का कार्य Transaction का कार्य करता हैं ।
EDI ka full form kya hai:- electronic data interchange
EDI ने कम्पनियों को व्यापार करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है । जिस से Global market में आसानी से व्यापार किया जा रहा है ।
व्यापार में Document के चलन को बढाने के लिए 1960 में EDI को विकसित ( Devlop ) किया गया । EDI के द्वारा हम किन्हीं भी दो कम्पनियों या क्रेता व विक्रेता के मध्य Purchase Order , Acknowledgement Receipt Order आदि Format का उपयोग करते हैं ।
किसी एक कम्प्यूटर का किसी अन्य कम्प्यूटर के साथ Link स्थापित करके किसी भी प्रकार के डेटा इलैक्ट्रॉनिक पद्धति द्वारा आदान – प्रदान किया जा सकता है । जिस से व्यापार में होने वाले कागजी कार्यों को बहुत कम किया गया हैं । जैसे Purchase order , Invoice तथा Document आदि सभी को इलैक्ट्रॉनिक रूप form में बदल दिया गया है ।
EDI के द्वारा कई कार्य स्वत : Perform हो जाते हैं ।
electronic data interchange का मुख्य लाभ यह है कि Transaction के मूल्य में कमी आए तथा कम्प्यूटर के द्वारा Order भरने की speed कार्य Efficiency को improve करता है । यह कार्य Manually करने पर बहुत अधिक समय लेता था ।
electronic data interchange के द्वारा हम किसी भी व्यापार की कार्यकुशता को बढ़ा सकते हैं ।
electronic data interchange सिस्टम के द्वारा व्यापार के बड़े – बड़े बहुत सारे कार्यों व उनकी प्रक्रियाओं को भी तीव्रता से किया जाता है जिसमें व्यापार के कई कार्य जैसे क्रय , विक्रय , भुगतान , जमाएं आदि को कम से कम समय में पूरा किया जा सकता है ।
ई – कॉमर्स अनुप्रयोग electronic data interchange से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहते है । ई – कॉमर्स में होने वाले सभी कार्य इलैक्ट्रॉनिक रूप में बदलाव पर निर्भर करते हैं ।
Financial electronic data interchange
(EDI in hindi) के द्वारा हम आसानी से किसी भी तरह के भुगतान को कर सकते है । EDI को Financial field में उपयोग करने से उसका भुगतान Payment flow बढ़ जाता है । जिसमें कोई भी Credit किसी भी तरह के बैंक में एक Particular दिनांक के अनुसार payment जमा कर सकता है । इस प्रकार कहा जा सकता है कि EDI व्यवसाय को एक बेहतर सहारा प्रदान करता है ।
EDI सूचना को इस तरह से standard format में रूपान्तरित करता है जिससे कि यह दूसरे कम्प्यूटर Application के द्वारा भी पढ़ा जा सके ।
EDI के द्वारा किसी भी Document का Transfer आसानी से किया जा सकता है । क्योंकि EDI में Encryption व Decryption तकनीक का प्रयोग किया जाता है जिस से किसी भी प्रकार का व्यवसायिक Document सुरक्षित हो जाता हैं ।
EDI के द्वारा हम किसी भी व्यवसायिक अनुप्रयोग में कागजी कार्यों को कम कर सकते है , जिस से उस व्यापार में कार्य पर लगने वाले मूल्य की बचत हो ।
अन्तर्राष्ट्रीय Trade , Electronic Fund Transfer आदि अनुप्रयोगों में EDI का उपयोग किया जा सकता है । इसके द्वारा हम किसी भी Electronic Transaction मूल्य के Creditor तथा Debter के अनुसार Link बनाते हैं ।
Importance of EDI in E-Commerce ( EDI का E – Commerce में महत्व ):-
EDI की कई विशेषताओं के कारण ही ई – कॉमर्स में EDI महत्वपूर्ण है ।
Features of EDI in hindi:-
1 . डेटा की दोहरी Reduce double data entry :-
EDI तकनीक से एक Traditional business सिस्टम के मुकाबले Data entry से सम्बन्धि समस्याएं कम आती है ।
2.कागज पर कार्य में कमी ( Reduce paper work ):-
EDI system (in hindi) में Business Transaction online होने से कम्पनियों का कागज पर कार्य करने में कमी आई है ।
3. कम कीमत ( Low Cost ) : –
EDI system(in hindi) से डेटा की देखरेख व उसका प्रबन्धन करने में एक Traditional Business के मुकाबले कम मूल्य लगता है ।
4. डेटा हिस्सेदारी ( Data Sharing ) : –
यदि कोई कम्पनी एक से अधिक बांचों के माध्यम से कार्य Transaction करती है तब भिन्न – भिन्न ब्रांचों के डेटा को एक से दूसरे विभाग ( Department ) में Share करना होता है , जो कि EDI के द्वारा आसानी से किया जा सकता है ।
5. तीव्र प्रक्रिया गति ( Fast processing speed ):-
EDI system(in hindi) से व्यापार के बड़े – बड़े कई कार्यों व उनकी प्रक्रियाओं को भी तीव्रता से किया जाता है जिसमें व्यापार के कई कार्य जैसे कि क्रय , विक्रय , भुगतान , जमाएं आदि को कम समय पूरा किया जा सकता है ।
layers of EDI architecture:-
EDI को 4 layers में divided किया जा सकता है
1. EDI Semantic Layer:-
इस Layer में व्यापार के Application को Describe किया जाता है . जिसमें व्यापार से सम्बन्धित सॉफ्टवेयर तथा कई नए तरीकों को समझाया जाता है इस लेयर से हम किसी भी जानकारी को उस कम्पनी की विशिष्ट अथवा सुनिश्चित सूचना को Trading Partner को भेज सकते हैं । EDI Semantic Layer मे हम EDI form के ढांचे का उपयोग कर सकते हैं । यह Layer एक तरह से User interface Layer होती है । जिससे किसी भी तरह की एप्लीकेशन उपभोक्ता के अनुसार उसके व्यापार पर कार्य करती है ।
2. EDI Standard Layer:-
इस लेयर के द्वारा व्यापार के Structure को Describe किया जाता है तथा इस लेयर के द्वारा किसी भी तरह की जानकारी को अधिकतम 50 शब्दों में समझा सकते हैं । Standard translation लेयर को हम दो रूपों में बाँट सकते हैं , इन दोनों रूपों Forms को किसी भी तरह के Business application का एक standard रूप display करते हैं , जिसमें उसकी Length से ज्यादा जानकारी Describe नहीं की जाती है । इसके दो रूप X12 व EDI Fact Form हैं। X12 में 50 शब्दों का उपयोग किया जा सकता है , तथा Fact form में 75 शब्दों को उपयोग किया जा सकता है ।
3. EDI Transport Layer:-
इस लेयर के द्वारा हम कई तरह की Non – electronic क्रियाओं का उपयोग करके व्यापार की जानकारी को एक कम्पनी से दूसरी कम्पनी तक भेजा जाता है । इस लेयर में Business information को Posted services के द्वारा या Registered mail के द्वारा भेजा जाता है जिससे किसी भी जानकारी को क्लाईंट सर्वर नेटवर्क के द्वारा Pass नहीं होना पड़ता है । इस लेयर के द्वारा कई तरह डेटा की जानकारी तथा फाइल की जानकारी को बिना इलेक्ट्रॉनिक के दो नेटवर्क के मध्य आदान – प्रदान किया जाता है ।
4. EDI Physical Network Infrastructure Layer:-
इस Layer के द्वारा हम Dial – up – lines तथा I – way इत्यादि तकनीकों का उपयोग करके Business application या Business Information को एक Trading partner तक भेज सकते हैं ।
application of EDI in E-commerce(ई.डी.आई. के व्यवसायिक अनुप्रयोग):-
EDI के किसी भी व्यवसायिक application को कई तरह से उपयोग किया जा सकता है , क्योंकि EDI के द्वारा दो नेटवर्क के मध्य कई प्रकार के डेटा का स्थानान्तरण आसानी से कर सकते हैं । EDI के द्वारा हर Transportation तथा Trade को और अधिक बेहतर बना सकते हैं , जिसमें किसी भी तरह की जानकारी किसी भी नेटवर्क पर आसानी से भेजी जा सकती है ।
EDI के द्वारा international Trade , Electronic fund transfer , Health care , Insurance claim processing तथा Manufacturers व Retails आदि अनुप्रयोग में EDI का उपयोग किया जा सकता है ।
1 अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार तथा ई.डी.आई. (International Trade in hindi & EDI in hindi):-
EDI International Trade in hindi मे निकटतम जुड़ा रहता है क्योंकि EDI के द्वारा किसी भी तरह के व्यवसायिक दस्तावेज को आसानी से भेजा जा सकता है । EDI के द्वारा हम किसी भी व्यापार की कार्यकुशलता को बढ़ा सकते हैं । अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में परिवर्तन आसान व जल्द कर सकते हैं । EDI के द्वारा किसी भी Document के स्थानान्तरण के मूल्य को कम कर सकते हैं । EDI के द्वारा हम किसी भी व्यवसायिक अनुप्रयोग में कागजी कार्यों को कम कर सकते हैं , जिससे उस व्यापार पर पृष्ठ कार्य पर लगने वाले मूल्य की बचत होगी । EDI के द्वारा किसी भी Document का Transfer आसानी से किया जाता है । क्योंकि इसमें हम Encryption व Decryption तकनीक का उपयोग करते हैं , जिससे किसी भी तरह का व्यवसायिक document सुरक्षित हो जाता है ।
2.वित्तिय ई.डी.आई. ( financial electronic data interchange ):-
financial electronic data interchange इसके द्वारा हम किसी भी Electronic transaction मूल्य के Creditor तथा Debtor के अनुसार Link बनाते हैं । Financial EDI के द्वारा हम किसी भी तरह के मूल्य Payment को आसानी से भेज सकते हैं । क्योंकि इसमें हम EDI तकनीक का प्रयोग I – way के द्वारा किसी भी Payment को आसानी से भेज सकते हैं । EDI के Financial field में उपयोग करने से उसका Payment flow बढ़ जाता है जिसमें कोई भी Credit किसी भी तरह के बैंक में एक Particular दिनांक के अनुसार Payment जमा कर सकता है ।
3.Electronic Fund Transfer in hindi:-
EFT में किन्हीं भी दो बैंकों के मध्य Creditor तथा Debtor किसी भी तरह का Fund सीधे भेज सकते हैं । EFT के द्वारा Same way में पूर्णतया उसी समय किसी भी तरह का Fund Transfer किया जा सकता है ।
4.स्वास्थ्य देखभाल व बीमा ई.डी.आई.( Health Care in hindi & Insurance EDI in hindi) :-
EDI में स्वास्थ्य देखभाल व बीमा के द्वारा किसी भी तरह के Medical Claim में Fund Transfer आसानी से किया जाता है ।
EDI के द्वारा दावा प्रक्रिया को 24 घण्टों में पूरा किया जा सकता है ।
Electronic transmission के द्वारा आवेदन , बिलिंग , भुगतान आदि का दावा आसानी से किया जा सकता है । संक्षिप्त रूप में स्वास्थ्य देखभाल तथा बीमा दावा ई.डी.आई. के द्वारा आसानी से Process किये जा सकते हैं तथा किसी भी तरह का Fund transfer EDI के द्वारा जल्दी किया जा सकता है ।
EDI का उद्देश्य ( Purpose of EDI in hindi) :-
1. Reduce double data entry (electronic data interchange in hindi):-
EDI तकनीक से एक Traditional business सिस्टम के मुकाबले Data entry से सम्बन्धित समस्याएं कम आती हैं ।
2. Fast Processing Speed (electronic data interchange in hindi):-
EDI system(in hindi) से व्यापार के बड़े – बड़े कई कार्यों व उनकी प्रक्रियाओं को भी तीव्रता से किया जाता है जिसमें व्यापार के कई कार्य जैसे कि क्रय , विक्रय , भुगतान , जमाएं आदि को कम समय में पूरा किया जा सकता है ।
3. Low Cost(electronic data interchange in hindi) :-
EDI system(in hindi) से डेटा की देखरेख व उसका प्रबन्धन करने में एक Traditional business के मुकाबले कम मूल्य लगता है ।
4. Reduce Paper Work (electronic data interchange in hindi):-
EDI system(in hindi) में Business transaction Online होने से कम्पनियों के कागज़ पर कार्य करने में कमी आई है ।
5.Data Sharing (electronic data interchange in hindi):-
यदि किसी कम्पनी में एक से अधिक ब्रांचों के माध्यम से Transaction करती है तब अलग – अलग ब्रांचों के डेटा को एक से दूसरे विभाग में Share करना आसान होता है ।
ई.डी.आई. के सुरक्षा अवय ( Security Components of electronic data interchange in hindi ) :-
EDI ( Electronic Data Interchange ) जैसा कि नाम से पता होता है कि इसके अन्तर्गत डेटा को आदान – प्रदान किया जाता है । डेटा का यह आदान प्रदान किसी बड़े नेटवर्क जैसे कि इन्टरनेट आदि के माध्यम से किया जा सकता है , ऐसी स्थिति में नेटवर्क पर डेटा सुरक्षित नहीं होता । जब सिस्टम प्रशासक किसी भी तरह की सूचना अन्य नेटवर्क को भेजता है तब सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि नेटवर्क कनैक्शन किस प्रकार का किया जाये तथा उसकी सुरक्षा सबसे उत्तम हो जिससे किसी भी अन्य तरह से वह नेटवर्क हैक ना कर सके ।
Types of Security Components of EDI in hindi:-
1. Trust based Security
2. Security through QB Security
3. Password Schema
4. Biometric System
1. Trust Based Security in EDI hindi:-
इस सुरक्षा विधि में consumer किसी भी अन्य consumer पर भरोसा कर लेता है और कोई भी अन्य सुरक्षा उपलब्ध नहीं करवाता है । किसी भी तरह की जानकारी को बिना नेटवर्क सुरक्षा के द्वारा अगर इन्टरनेट पर उपयोग किया जाता है तो कोई भी consumer उसे अपने अनुसार बदल सकता है ।
2. Security through QB Security in EDI hindi:-
इसमें एक ऐसा नेटवर्क कनैक्शन किया जाता है जिसमें बाहरी प्रबंधन समूह प्रवेश नहीं कर सकते हैं । यह नेटवर्क कनैक्शन केवल सीमित व्यक्तियों तथा सीमित कम्पनी के मध्य ही बनाये जाते है । इस विधि में पासवर्ड के लिये बाईनेरी फाइल भी बनाई जा सकती हैं इसका उपयोग केवल समूह सुरक्षा के लिये उपयोग में लिया जाता है । इसमें जानकारी को अपने – अपने समूहों के आधार पर ही सुरक्षित रखा जाता है ।
3.Password Schema in EDI hindi:-
इसमें consumer को अपने एकाउंट को सुरक्षित रखने के लिये पासवर्ड में अक्षरों की न्यूनतम संख्या , पासवर्ड में उपयोग किए जाने वाले विशेष प्रकार के चिन्ह तथा अन्य Alpha Numeric Character इत्यादि जिन्हें पासवर्ड में शामिल किया जा सकता है । इसमें यह भी बताया जाता है कि वह अपने पासवर्ड को एक निश्चित समय के बाद बदलते रहना चाहिए ।
4. Biometric Systems in EDI hindi:-
यह सबसे उच्च स्तर की सुरक्षा तकनीक है । इस विधि के द्वारा Desirable consumer के उंगलियों के निशान , हस्ताक्षर , आवाज का रिकार्ड करना तथा eyes मिलान व दिल की धड़कन आदि का उपयोग करके उस व्यक्ति के डेटाबेस को सुरक्षित रखा जाता है । यह सबसे उच्च स्तर की तकनीक होने के साथ – साथ अधिक मूल्यवान भी होती है ।
Various Document Management Issues in EDI in hindi:-
EDI की समस्याओं के अन्तर्गत हम कई तरह के EDI संदेश , सेवाएं तथा प्रणाली तैयार करते हैं , जिससे वह अन्य Business applications से सम्पर्क कर सकें EDI में बनने वाले Document को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये मुख्य फंक्शनों का उपयोग किया जाता है-
• Cryptography (EDI in hindi):-
Cryptography EDI सुरक्षा तकनीक का एक फंक्शन है । यह एक कोड Based सेवा है जिसका उपयोग संदेश को प्राप्त करने वाला consumer ही समझ सकता है । जिसमें व्यापार से संबंधित सूचना को Zip फाईल from में परिवर्तित कर करके भेजा जाता है तथा इसे Encrypt तकनीक का उपयोग करके ही Recive करने वाला consumer दोबारा इसे इसके Actual format में प्राप्त कर सकता है ।
• Digital Signature (EDI in hindi):-
EDI सुरक्षा विधि में Digital signature भी एक प्रकार का Computerized चिह्न होता है जिसे e – mail करते समय संदेश के अंत में लगाया जाता है । यह चिह्न International standard पर ISO द्वारा एक ट्रेड मार्क होता है , जिसे बैंक , सरकारी एजेन्सियां उपयोग करती हैं । यदि कोई Authorized person किसी कम्पनी के ISO प्रमाणित ट्रेड मार्क की Duplicate copy करता है तब कम्पनी उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकती है ।
• Network Security (EDI in hindi):-
EDI तकनीक से प्रक्रिया में शामिल होने वाले डेटा को इंटरनेट पर सुरक्षा मिलना जरूरी होता जा रहा है , इसी कारण इन्टरनेट का उपयोग करने वाले प्रत्येक consumer को कम्पनी से सम्पर्क करने के लिये अपनी ID व Password को Verify करवाना होता है , जिससे Cyber crime को रोका जा सके ।
• Privacy and Authorization (EDI in hindi):-
डेटा को Unauthorized person से सुरक्षित रखने के लिये डेटा को Privacy देना आवश्यक होता है , इसके लिये कम्पनी अच्छे Firewall सिस्टम का उपयोग करती है जिनमें उपयोग होने वाले सॉफ्टवेयर डेटा के Transaction को रिकार्ड करते हैं ।
Implementation & Integration (EDI in hindi)-
EDI Implementation & Integration किसी ई.डी.आई. सिस्टम को बनाने अथवा उसे लागू करना अपने आप में एक पूर्ण process होती है ।
EDI Implementation & Integration steps:-
1. Professional ढांचे को बनाना :-
ई.डी.आई. को किसी व्यवसाय के लिए ही बनाया जाता है । अतः ई.डी.आई. की शुरूआत व्यवसाय के ढांचे के निर्माण के साथ ही होती है । इसके लिए यह आवश्यक होता है कि व्यवसाय के ढांचे का सही रूप से निर्माण हो , यदि ढांचे का निर्माण ठीक से नहीं हुआ है तो ई.डी.आई. से प्राप्त परिणाम विश्वसनीय हो यह आवश्यक नहीं है । व्यवसाय के ढांचे का सही रूप से निर्माण हो इसके लिए उस व्यवसाय की व्यवसायिक प्रक्रिया को समझना आवश्यक होता है ।
2. उसकी उचित तरीके से जांच करना :-
Professional ढांचे से पूर्ण रूप से बन जाने के पश्चात् उसकी उचित तरीके से जांच एवं परख की जाती है । यदि इसमें कोई कमी होती है तो उसे सुधारा जाता है । जैसे कि व्यवसायिक प्रक्रिया में दोहराए जाने वाले चरणों को हटाना , दोहराव वाली प्रविष्टयों को हटाना , मैन्युअल कार्य को घटाना । इसके अतिरिक्त कुछ अन्य मुख्य बिन्दुओं पर भी ध्यान दिया जाता है जैसे कि ग्राहक सेवा ( customer service ) को अच्छा बनाना , व्यवसायिक साझेदारों के साथ व्यवसायिक सम्बन्धों को बढ़ावा देना आदि ।
3. गहराई से जांच करना :-
Professional ढांचे बनने तथा उसकी जांच होने के बाद सम्पूर्ण Professional ढांचे व बनाए जाने वाले ई.डी.आई. सिस्टम की गहराई से जांच की जाती है । इसमें यह जांचा जाता है कि ई.डी.आई. व्यवसाय के लिए किस प्रकार अधिक लाभदायक सिद्ध होगा , अथवा Professional प्रक्रिया के किस हिस्से में वह अधिक उपयोगी सिद्ध होगा । अर्थात् ई.डी.आई. को Professional प्रक्रिया के किस हिस्से में जोड़ने पर व्यवसाय की स्थिति Strong एवं अधिक लाभदायक हो सकती है । इन सभी बातों का निर्णय cost benefit analysis , EDI survey के द्वारा किया जाता है ।
4. Business – Focused EDISolution का निर्माण करना :-
पिछले चरण में किए गए analysis के परिणाम के आधार इस चरण में पर उस व्यवसाय पर Centralized ई.डी.आई. solution का निर्माण किया जाता है । Analysis के आधार पर ही व्यवसाय के लिए ई.डी.आई. सिस्टम को specify किया जाता है ।
इसके अन्तर्गत नेटवर्क स्ट्रक्चर , नेटवर्क कनैक्शन , आई.टी. इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि पर कार्य किया जाता है ।
5. ई.डी.आई. की जानकारी प्राप्त करना व सही ई.डी.आई. नेटवर्क provider का चुनाव :-
ई.डी.आई. के निर्माण के इस चरण में व्यवसायी द्वारा ई.डी.आई. तथा ई.डी.आई के standards के बारे में विभिन्न माध्यमों से उचित जानकारी प्राप्त की जाती है । अपने व्यवसाय की प्रकृति व व्यवसाय की आवश्यकता के अनुसार उपयुक्त ई.डी.आई. सिस्टम व ई.डी.आई. सेवा प्रदाता का चुनाव किया जाता है ।
6. ई.डी.आई. को व्यवसाय के साथ जोड़ना :-
ई.डी.आई. सिस्टम के चुनाव के बाद चुने गए ई.डी.आई. सिस्टम को व्यवसाय के साथ integrate किया जाता है । ई.डी.आई. निर्माण का यह प्रमुख चरण है । इसके अन्तर्गत ई.डी.आई. के माध्यम से exchange होने वाले डेटा को भी जांचा जाता है कि हा गया डेटा ही exchange हुआ है कि नहीं ।
सभी चरणों के पूर्ण होने के पश्चात् ई.डी.आई. व सम्पूर्ण व्यवसाय के डेटा को लिंक कर दिया जाता है , इसके पश्चात् डेटा मैपिंक , पाइलट प्रोजेक्ट का निर्माण करने के बाद ई.डी.आई. के माध्यम से डेटा का हस्तान्तरण किया जाता है ।
EDI operation:-
Step 1:- Buyer के कम्प्यूटर के द्वारा seller के कम्प्यूटर को purchase order भेजा जाता है ।
step 2:- seller के कम्प्यूटर के द्वारा Buyer के कम्प्यूटर को purchase order स्वीकृति भेजी जाती है ।
Step 3:- seller का कम्प्यूटर ट्रांस्पोर्ट कम्पनी को बुकिंग के लिए अनुरोध भेजता है ।
Step 4:- ट्रांस्पोर्ट कम्पनी के कम्प्यूटर के द्वारा seller के कम्प्यूटर को बुकिंग की स्वीकृति भेजी जाती है ।
Step 5:- seller के कम्प्यूटर के द्वारा Buyer के कम्प्यूटर को advance – ship notice भेजा जाता है ।
Step 6:- ट्रांस्पोर्ट कम्पनी के कम्प्यूटर के द्वारा seller के कम्प्यूटर को ट्रांस्पोर्ट बुकिंग की वर्तमान स्थिति के बारे में सूचना भेजी जाती है ।
Step 7:- Buyer के कम्प्यूटर के द्वारा seller के कम्प्यूटर को प्राप्ति रसीद भेजी जाती है ।
Step 8:- seller के कम्प्यूटर के द्वार Buyer के कम्प्यूटर पर भुगतान बिल भेजा जाता है ।
Step 9:- Buyer के कम्प्यूटर के द्वारा seller के कम्प्यूटर को भुगतान की जानकारी भेज दी जाती है ।