what is build and fix model in hindi? and its phases

Build and fix model (ad hoc model in hindi):-

Build and fix model को ad hoc model भी कहते है. इसमें सॉफ्टवेयर को बिना किसी डिजाईन या specification के विकसित किया जाता है. और testing को भी इसमें जयादातर नजरअंदाज कर दिया जाता है.

यह सॉफ्टवेयर लाइफ साइकिल डेवलपमेंट का सबसे सरल model है. इसमें सॉफ्टवेयर बनाने के लिए कम requirements होती है.

इस model के द्वारा जब कोई शुरुवाती सॉफ्टवेयर बनके तैयार हो जाता है तो इसे user को deliver किया जाता है. user इसको check करता है अगर उसे सॉफ्टवेयर अच्छा नहीं लगता है तो सॉफ्टवेयर में functions को add, modify तथा delete किया जाता है और यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कि यूजर सॉफ्टवेयर से satisfy नहीं हो जाता है.

मगर सॉफ्टवेयर के डिजाईन में कमी तथा लगातार इसमें बदलाव करने की वजह से ऐसे सॉफ्टवेयर का user बहुत कम ही प्रयोग करते है. इस कारण सॉफ्टवेयर इंजिनियर इस development approach को बहुत कम use करते है.

phases of build and fix model

 

इस model में दो phases होते है:-

1:- build:- इस फेज में सॉफ्टवेयर code को विकसित किया जाता है और अगले फेज में भेज दिया जाता है.

2:- fix:- इस फेज में user की जरुरत के अनुसार code को correct तथा modify किया जाता है. तथा code को error free बनाया जाता है.

advantage of build and fix model (adhoc model):

इसके लाभ निम्नलिखित है:-

1:- इसमें सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए experience की बहुत कम जरुरत पड़ती है.

2:- इसमें सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए गहरी planning नहीं करनी पड़ती.

3:- इसमें initial सॉफ्टवेयर तैयार हो जाता है.

disadvantage of build and fix model:-

इसकी हानियाँ निम्नलिखित है:-

1:- इसमें सॉफ्टवेयर बनाने की cost बहुत अधिक होती है क्योंकि इसमें जब तक यूजर satisfy नहीं हो जाता है तब तक सॉफ्टवेयर में काम करना पड़ता है.

2:- सॉफ्टवेयर की क्वालिटी ना के बराबर होती है.

3:- इसमें risks बहुत होते है.

4:- इस सॉफ्टवेयर की maintenance करना बहुत मुश्किल है.

5:- इसमें सॉफ्टवेयर का डिजाईन informal होता है.

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