Software myths in hindi
software development के लिए developer part पर dedication और understanding की आवश्यकता होती है। पर कभी कभी कुछ softwares को develop करते समय समस्या उत्पन्न होती है और यह समस्या software myths के कारण होती है।
“myth” का मतलब अफवा या भ्रम होता है , ऐसी बाते जो एक अफवा या भ्रम के जैसी होती है उसे myth कहते है। जब सॉफ्टवेर को बनाया या develop किया जाता है तब developer को कुछ myth होते है , जिसकी वजह से software को develop करने में समस्या उत्पन्न होती है। software myths developer के दिमाग में झूठी मान्यता और भ्रम को उत्पन्न करती है। पर यह सिर्फ myth होता है reality या वास्तविकता कुछ और होती है।
यहाँ हम software development के myth और reality की तुलना करेंगे की software को develop करते समय manager , user and developers को क्या myth होता है जबकि reality कुछ और होती है। जिसकी वजह से software को आसानी से good quality का , काम budget में , और कम समय में software बना सकता है।
Software myths तीन प्रकार के होते है –
- Management myth
- User myth
- Developer myth
1:- Management myth :- manager वह होते है जिनके ऊपर software को develop करने की जिम्मेदारी होती है। software development में manager को सॉफ्टवेर की बेहतर quality , budget , समय की बाधाओं व कई बातो का pressure होता है । software को develop करने के लिए manager को कुछ myth होते है –
a) information :-
Myth – manager को यह myth होती है कि किसी भी software को बनाने के लिए developer के पास complete information होनी चाइये और यह information उन्हें manual से मिलता है जिसमे software को बनाने का procedure , principal व standard दिया हुआ होता है।
Reality – reality यह होती है कि software को थोड़ी सी जानकारी के साथ भी develop करना शुरू कर सकते है। अक्सर organization के standard manual समय के साथ पुराने हो जाते है। और जो developer होते है वह organization के manual को नहीं जानते है जिसकी वजह से manual के अनुसार काम करने से software delivery time बढ़ते जाती है इसलिए developer manual का उपयोग बहुत कम करते है।
b) Scheduling :-
Myth – जब software को deliver करने का समय निश्चित समय किये गए समय से ज्यादा होने लगता है तब कुछ companies व organization के manager के द्वारा यह सोचा जाता है की software को develop करने के लिए जितने ज्यादा developers होंगे software उतना ही जल्दी develop होगा।
Reality – पर reality यह होती है कि कुछ developer नए या fresher भी होते है जिन्हें software को समझने व develop करने में समय लगता जिससे software delivery time और ज्यादा बढ़ने लगता है।
c) Outsourcing :-
Myth – जब कोई manager software को develop करने के लिए किसी third person को outsource ( ठेका देना ) देता है तब उसे ऐसा लगता है कि अब वह आराम कर सकता है उसे देख रेख करने की कोई जरूरत नहीं है। उनका software third person द्वार बना दिया जायेगा।
Reality – पर ऐसा नहीं है reality यह होती है कि जब manager software development के लिए किसी third person को software देता है तब भी उसे देखरेख करनी पड़ती है उस third person के द्वारा ठीक से कम किया जा रहा है या नहीं। क्योंकि यदि third person ठीक से कम नहीं करेगा तो software में internal problem आ सकती है जिसके कारण बाद में organization को भुगतना पड़ सकता है।
2:- User myth :- ज्यादातर users को software के बारे में गलतफेमी होती है क्योंकि manager and developers user की गलतफैमि को दूर करने की कोशिश नहीं करते है जिसके वजह से user कभी भी software से सन्तुष्ट नहीं हो पाता है।
software को लेकर user के कुछ software myths –
a) requirements
Myth – user को ऐसा लगता है कि शुरुआत में थोड़ी सी requirement बताना काफी है software development के लिए बाद में बाकि पुरी requirement बाद में चरण में बता देंगे।
Reality – लेकिन software development के लिए शुरुआत में ही complete requirement बताना पड़ता है क्योंकि बाद में requirement बताने से extra resources and time लगता है जिसकी वजह से software का cost भी बढ़ जाता है।
b) Software flexibility:-
Myth – user को लगता है कि software एक जैसा बन गया उसके बाद समय के साथ उसमे परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
Reality – जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है software flexible होता है उसमे समय के साथ और जरुरत के अनुसार भविष्य में परिवर्तन किया जा सकता है।
3:- Developer myth :- software development को लेकर developers को कुछ software myths होते है –
a) Software deliver –
Myth – developer को इस बात का भ्रम होता है कि software के coding के बाद software complete हो गया और software delivery के बाद उसका काम खत्म हो गया।
Reality – developer को software के delivery के बाद भी काम करना पड़ता है। developer का काम खत्म नहीं होता है। developer को software delivery के बाद भी maintenance का काम करना पड़ता है।
b) Project quality –
Myth – developer यह सोचता है कि यदि project के लिए product का quality अच्छा होगा तो software भी अच्छा बनेगा।
Reality – यह जरूरी नहीं होता है कि software development के लिए जो अच्छी quality का product use किया जा रहा है उससे software भी अच्छा बने। software को अच्छा बनाने के लिए dedication और understanding की जरूरत होती है।
c) Documentation section –
Myth – developer को इस बात का भ्रम होता है कि software requirement and specification (SRS) बनाने की जरूरत नहीं है। यह software development को slow कर देगा।
Reality – software engineering अच्छे quality के software create करती है। और documentation section software की quality को और बेहतर बनाता है। documentation की वजह से software पर दुबारा काम करने व maintenance में सुविधा होती है।
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